भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक
राष्ट्रपति पोलो कप

राष्ट्रपति पोलो कप

“प्रेसिडेंट्स पोलो कप” की शुरुआत वर्ष 1975 में स्वर्गीय राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद के संरक्षण में की गई थी, जो उस समय भारतीय पोलो एसोसिएशन (आईपीए) के मुख्य संरक्षक भी थी। आईपीए राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी) के साथ सम्बद्ध था जो राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से इस टूर्नामेंट का संचालन करता था।यह प्रतिष्ठित आयोजन एक ओपन टूर्नामेंट के रूप में आयोजित किया जाता था, जिसमें कम से कम दस गोलों की अनिवार्यता वाली टीमें भाग ले सकती थीं और इसमें देश के सबसे अच्छे पोलो खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते थे। इस कप का उद्घाटन टूर्नामेंट फरवरी,1975 में खेला गया था, जिसमें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय श्री फखरुद्दीन अली अहमद और बेगम आबिदा अहमद उपस्थित थे।

जून 2004 में, भारतीय पोलो एसोसिएशन (आईपीए) राष्ट्रपति के अंगरक्षक से अलग होकर सिक्सटी-वन कैवेलरी के अधीन आ गया। उसके बाद वर्ष 2005 से राष्ट्रपति पोलो कप का आयोजन बंद कर दिया गया। राष्ट्रपति पोलो कप की विरासत को पुनर्जीवित करने के प्रयास में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों ने राष्ट्रपति सचिवालय के सहयोग से पहल की और मार्च, 2013 में अपने पोलो ग्राउंड में पहला राष्ट्रपति पोलो कप प्रदर्शनी मैच का आयोजन किया।

वर्ष 2023 में, राष्ट्रपति पोलो कप का प्रदर्शनी मैच 25 नवंबर को खेला गया और इस मैच का आरंभ माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा पोलो बॉल को परम्परागत रूप से खेल कर किया गया। 
 

1 मैच का आरंभ माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा पोलो बॉल को परम्परागत रूप से खेल कर किया गया


 

2 राष्ट्रपति पोलो कप प्रदर्शनी मैच के दौरान राष्ट्रपति के अंगरक्षक दल द्वारा मनमोहक स्किल राइडिंग प्रदर्शन

3 माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार विजेताओं का सम्मान

यह प्रदर्शनी मैच एक वार्षिक आयोजन बन गया है, जिसमें माननीय राष्ट्रपति आते हैं और अन्य देशों के राजदूतों सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इसे देखते हैं। यह प्रदर्शनी मैच नवंबर या दिसंबर के महीनों में 'दिल्ली फ़ॉल पोलो सीज़न' के साथ खेला जाता है। प्रदर्शनी मैच में देश के शीर्ष खिलाड़ियों द्वारा घुड़सवारी और पोलो कौशल का एक बेहतरीन प्रदर्शन करना इसका मुख्याकर्षण है। राष्ट्रपति के पोलो कप प्रदर्शनी मैच की रजत ट्रॉफी को राष्ट्रपति के अंगरक्षक अधिकारी मेस में गर्व के साथ प्रदर्शित किया गया है।