भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक

राष्ट्रपति निवास

परिचय

राष्ट्रपति निवास, जिसे पहले 'रिट्रीट' के नाम से जाना जाता था, भारत के माननीय राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन आधिकारिक निवास है, जो शिमला, हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह प्रतिष्ठित रिट्रीट पारंपरिक रूप से अप्रैल में होने वाले वार्षिक ग्रीष्मकालीन प्रवास के दौरान राष्ट्रपति की मेज़बानी करता है।

इतिहास

गणतंत्र मंडप

राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप की अत्यंत सादगी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है

चूंकि यह निर्विवाद रूप से प्रेजीडेंशियल पैलेस का सर्वाधिक भव्य कक्ष है। रॉबर्ट बायरन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार और कला आलोचक ने ठीक ही कहा है, ‘अपने लिए निर्धारित किए गए डिजायन के उच्च स्तर में लुटियन्स ने कहीं भी चूक नहीं की।’

अशोक मंडप

अशोक मंडप राष्ट्रपति भवन के अत्यधिक आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक है।

रोचक बात यह है कि कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था।

लाइब्रेरी

गणतंत्र मंडप की दुहिता के रूप में पहचानी जाने वाली राष्ट्रपति भवन की लाइब्रेरी भवन के उत्तर पूर्वी कोने में स्थित है और यहां नार्थ स्टेयरकेस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

सर्कुलर गार्डन

सबसे दूर स्थित, सर्कुलर गार्डन को इसके आकार के कारण सनकेन गार्डन या पर्ल गार्डन के रूप में भी जाना जाता है। पहले इसे बटरफ्लाई गार्डन कहा जाता था, इसकी एम्फीथिएटर जैसी संरचना में फूलों की क्यारियों के छल्ले बनाए गए हैं जिनमें सर्दियों के मौसम के दौरान विभिन्न रंगों के स्टॉक, फ़्लॉक्स और पैंसिस, गेंदा, वायोला, एलिसम और कई अन्य सुगंधित किस्में तथा ग्रीष्मकाल के दौरान सेलोसिया, ट्यूबरोज़, कैना लिली, पेरीविंकल और कोलियस और अन्य किस्में लगाई जाती हैं।

लांग गार्डन

लांग गार्डन में मुख्य रूप से गुलाबों से भरा बगीचा है जिसमें गुलाब की सोलह क्यारियाँ हैं। यह उद्यान चार सौ तीस फीट लंबा है और इसके चारों और लगभग बारह फीट ऊंची दीवारें बनाई गई हैं। इसे प्राय: परदा उद्यान के नाम से जाना जाता है। गुलाब की लोकप्रिय और पुरानी किस्में जैसे रोज़ आइस बर्ग, रोज़ समर स्नो, रोज़ ओक्लाहोमा, रोज़ लूसियाना लगाई गई हैं और क्यारियों के किनारे डहलिया, मैरीगोल्ड, साल्विया, गज़ानिया, ऑक्सालिस, रानुनकुलस और आइरिस के पौधे हैं। मध्य से जाने वाले फुटपाथ पर एक लाल बलुआ पत्थर का लता-मंडप (परगोला) है जो गुलाब की लताओं, पैट्रिया, बोगेनविलास और अंगूर की लताओं से ढका हुआ है।

भगवान बुद्ध की प्रतिमा

सहस्रबाहु अवलोकितेश्वर के रूप में जानी जाने वाली भगवान बुद्ध की 1,000 बाजू वाली प्रतिमा वियतनाम की सरकार ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उपहार स्वरूप भेंट की थी। संस्कृत शब्द सहस्रबाहु का अर्थ है ‘हजार भुजाओं वाला’ और अवलोकितेश्वर का अर्थ है ‘वह ईश्वर जो विश्व को करुणा की दृष्टि से देखता है।’ बुद्ध का यह अवतार करुणा का अवतार है, यह विश्वास किया जाता है कि भगवान बुद्ध के पास दुखियों तक पहुंचने और उनकी मदद करने के लिए हजार हाथ है।

अस्तबल

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर भारतीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और एकता का एक प्रतीक है। यह संग्रहालय, जिसका 25 जुलाई, 2014 को औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था, भारत के राष्ट्रपतियों द्वारा विगत वर्षों में प्राप्त असंख्य उपहारों के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी की पहल का समूह है। इन भेंट की गई कलाकृतियों के अतिरिक्त संग्रहालय के संग्रहण में सशस्त्र, फर्नीचर, वास्तुकलाएं, कपड़े, फोटोग्राफ और पुरातत्त्व से संबंधित सामग्री और अन्य वस्तुएं भी हैं।

गैराज

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर, गैराज की नींव 7 अक्तूबर, 2014 को रखी। इसका नाम इस वास्तविकता से पड़ा कि विरासत भवन पहले राष्ट्रपति सम्पदा का गैराज गृह था। संग्रहालय सलाहकार, कार्मिकों और स्टाफ सदस्यों के 21 महीने के कड़े प्रयास के बाद यह गहन गौरव का विषय है कि आरबीएमसी के गैराज का 25 जुलाई, 2016 को औपचारिक रूप से उद्घाटन किया जा रहा है।

केंद्रीय लॉन

राष्ट्रपति भवन का एक महत्वपूर्ण उद्यान सेंट्रल लॉन है। आकार में वर्गाकार और 45 मीटर भुजाकार सेंट्रल लॉन गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित एट होम समारोह का प्रमुख स्थल होता है।