भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक

भव्य सीढ़ियां

बैंक्वेट हॉल में पहुंचने के लिए लूट्येन्स की भव्य सीढ़ियों से जाना पड़ता है। बलुआ पत्थर से बनी और आकार में विशाल, 111 फुट लंबाई और 53 फुट चौड़ाई वाली ये सीढ़िया एक छोर पर बैंक्वेट हॉल तक जाती हैं और दूसरे छोर पर अशोक मंडप तक जाती हैं।

Grand Stairs

crossing these stairs

अपर लॉजिया

अपर लॉजिया जिसे पहले गॉर्डन लॉजिया के नाम से जाना जाता था, बैंक्वेट हॉल और अशोक मंडप के मध्य स्थित है। इसके एक ओर ग्रैंड स्टेयरकेस (शानदार सीढ़ियां) और दूसरी ओर मुगल गॉर्डन दिखायी देता है। गणतंत्र मंडप में आयोजित समारोहों के बाद चाय और नाश्ते के लिए इस स्थान का बहुधा प्रयोग किया जाता है।

Ganatantra Mandap

walls of the loggia

बैंक्वेट हॉल

बैंक्वेट हॉल जिसे स्टेट डाइनिंग रूम के नाम से भी जाना जाता है, का एक शानदार विवरण है। इस कमरे से जो कि 104 फुट लंबा, 34 फुट चौड़ा और 35 फुट ऊंचा है, एक ओर मुगल गॉर्डन दिखाई देता है। बैंक्वेट हॉल की दीवारों को बर्मा के टीक तख्तों से सजाया गया है जबकि इसके फर्श ग्रे कोटा पत्थर और सफेद मकराना संगमरमर पैटर्न में बने हुए हैं। लंबी धारीदार कारीगरी वाले स्तंभों के ऊपर लकड़ी में खुदाई, लुट्यन्स के मौन घंटों के रूपांकन ठीक वैसे ही देखे जा सकते हैं जैसे कि फोरकोर्ट में टस्कन पिलर्स के ऊपर रखे गए हैं।

स्वागत

राष्ट्रपति भवन इमारत के स्वागत कक्ष में प्रवेश फोरकोर्ट से है। राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने पर स्वागत कक्ष से पहले वाले कमरे में वीरभद्र की बनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक आदमकद ऑयलीकृत कैनवास पैंटिंग द्वारा स्वागत होता है।

Reception of Rashtrapati Bhavan

Mahatma Gandhi

चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी (गार्ड परिवर्तन समारोह)

गार्ड परिवर्तन समारोह चेंज ऑफ गार्ड सेरेमनी एक सम्मानित सैन्य परम्परा है जो प्राचीन काल से सेना से जुड़ी हुई है जिसमें महलों, किलों तथा रक्षा प्रतिष्ठानों में गार्डों व संतरियों को एक निर्धारित समय पर बदला जाता है। यह परम्परा केवल सुरक्षा से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि सतर्कता, अनुशासन, परम्परा एवं निरंतरता का प्रतीक भी है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड तथा सैन्य सुरक्षा बटालियन संयुक्त रूप से गार्ड परिवर्तन समारोह आयोजित करते है।

राष्ट्रपति के अंगरक्षक

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राष्ट्रपति का हाउस होल्ड कैवेलरी (अश्वारोही सेना) 

राष्ट्रपति के निजी सैनिकों के रूप में माना जाने वाला, राष्ट्रपति अंगरक्षक (पीबीजी) राष्ट्रपति की हाउसहोल्ड सेरेमोनियल कैवलरी रेजिमेंट है, जो राष्ट्रपति भवन में तैनात है। यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी कैवलरी रेजिमेंट है और भारतीय सेना की सभी रेजिमेंटों में वरिष्ठतम रेजिमेंट है।  

स्थापना और प्रारंभिक इतिहास 

राष्ट्रपति पोलो कप

“प्रेसिडेंट्स पोलो कप” की शुरुआत वर्ष 1975 में स्वर्गीय राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद के संरक्षण में की गई थी, जो उस समय भारतीय पोलो एसोसिएशन (आईपीए) के मुख्य संरक्षक भी थी। आईपीए राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी) के साथ सम्बद्ध था जो राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से इस टूर्नामेंट का संचालन करता था।यह प्रतिष्ठित आयोजन एक ओपन टूर्नामेंट के रूप में आयोजित किया जाता था, जिसमें कम से कम दस गोलों की अनिवार्यता वाली टीमें भाग ले सकती थीं और इसमें देश के सबसे अच्छे पोलो खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते थे। इस कप का उद्घाटन टूर्नामेंट फरवरी,1975 में खेला गया था, जिसमें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपत

रामपूर्व बुल

अशोक के स्तंभ (अशोका पिलर्स) मौर्य कला के सर्वाधिक मशहूर उदाहरण हैं। राष्ट्रपति भवन, तीसरी शताब्दी पूर्व सैंड स्टोन ऑफ आशोक पिलर्स जिसे रामपुरवा बुल के नाम से जाना जाता है, को रखने में गौरवान्वित महसूस करता है। इसका नाम इसकी खोज के स्थान, बिहार में रामपूर्व के स्थान पर रखा गया है। रामपूर्व बुल राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट प्रवेश पर केंद्रीय स्तंभ के बीच में एक तख्त पर रखा गया है।

Rampurva Bull

टस्कन पिलर्स

फोरकोर्ट के टस्कन पिलर्स राष्ट्रपति भवन के आर्किटेक्चर की उत्कृष्टता, शान और समरूपता का स्मरण कराते हैं। ये 12 पिलर्स राष्ट्रपति भवन के फ्रंट बरामदे में टिके हैं। वे पुनर्जागरण काल के आर्किटेक्चर की टस्कन व्यवस्था से प्रभावित हैं।

Tuscan pillars

Tuscan pillars

आयरन गेट

राष्ट्रपति भवन के आलीशान गेट अपने आप में कलात्मक हैं। छ: मीटर की चौड़ाई वाले ये छब्बीस फुट के गढ़े हुए लोहे के गेट लंबी ग्रिल जो प्रेजीडेंसियल पैसेल की सीमा निर्धारित करती हैं तथा दक्षिणी और राष्ट्रपति भवन के उत्तरी अंत तक जाती हैं और इसकी ऊंचाई चौदह फीट है। इसकी ग्रील 2 फीट के पत्थर वाले आधार पर टिकी है और एक लपेटदार काले लेस जैसी है जो नुकीले सीधे फूलों से सजी हुई है। स्टार ऑफ इंडिया रूपांकन राष्ट्रपति भवन गेटों को सजाते हुए देखे जा सकते हैं जबकि ऊपर मुख्य द्वार के बीच में स्वर्णिम राष्ट्रीय चिह्न लगा हुआ है।