भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक

गणतंत्र मंडप

राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप की अत्यंत सादगी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है चूंकि यह निर्विवाद रूप से प्रेजीडेंशियल पैलेस का सर्वाधिक भव्य कक्ष है। रॉबर्ट बायरन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार और कला आलोचक ने ठीक ही कहा है, ‘अपने लिए निर्धारित किए गए डिजायन के उच्च स्तर में लुटियन्स ने कहीं भी चूक नहीं की।’

लाइब्रेरी

गणतंत्र मंडप की दुहिता के रूप में पहचानी जाने वाली राष्ट्रपति भवन की लाइब्रेरी भवन के उत्तर पूर्वी कोने में स्थित है और यहां नार्थ स्टेयरकेस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

लाँग ड्राइंग रूम

लाँग ड्राइंग रूम (एलडीआर) जैसा कि इसका नाम है राष्ट्रपति भवन का एक सम्मेलन कक्ष जहां राष्ट्रपति राज्यपालों/उपराज्यपालों के वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया करते हैं। इस कक्ष को माननीय राष्ट्रपति द्वारा चयनित समूहों और संगठनों के साथ बैठक के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। गणतंत्र मंडप के समीप अवस्थित इस लाँग ड्राइंग रूप में दो दरवाजे हैं जो नॉर्थ ड्राइंग रूम और साउथ ड्राइंग रूम के दोनों ओर के गलियारे में खुलते हैं।

संगीतमय उद्यान

फरवरी 2006 में उद्घाटित, संगीतमय उद्यान राष्ट्रपति, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की एक अन्य पहल थी। यह संगीत और विज्ञान के तालमेल से मानव सर्जनात्मकता का एक उदाहरण है। राष्ट्रपति संपदा के एक क्षेत्र जिसे पहले नर्सरी के रूप में प्रयोग किया जाता था, में स्थापित संगीतमय उद्यान में तीन विशाल फव्वारे हैं जो डिजीटल इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रोमैगनेटिज्म, हाइड्रो डायनेमिक और हाइड्रो स्टैटिक का प्रदर्शन करते हैं। संगीत को डिजीटाइज किया गया है तथा ऑडियो सिस्टम को कंप्यूटरीकृत कार्यक्रम नियंत्रक के माध्यम से संचालित किया जाता है

आयताकार उद्यान

आयताकार उद्यान राष्ट्रपति भवन के सबसे निकट है। यह कहा जाता है कि उद्यान की वृहद ज्यामितीय अभिकल्पना की सराहना भवन के प्रथम मंजिल से ही की जा सकती है। उत्तर और दक्षिण से दो समानांतर जलधाराएं एक दूसरे को काटती हुई पूर्व से पश्चिम की ओर जाती हैं। ये जल की धाराएं उद्यान को वर्गाकार वृत्त में विभक्त करती हैं। इन जलधाराओं के मिलन स्थल पर बलुआ पत्थर के फव्वारे जिनका आकार विक्टोरिया रेगिया लिलि से प्रेरित है, में 12 फुट तक के जल जेट लगे हुए हैं। उद्यान के चारों ओर करीने से मौलश्री वृक्ष लगाए गए हैं।

उत्तरी बैठक (नॉर्थ ड्राइंग रूम)

नॉर्थ ड्राइंग रूम में भारत के राष्ट्रपति राजकीय दौरा करने वाले प्रमुखों का स्वागत करते हैं। राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप के निकट अवस्थित रुचिकर रूप से बनाए गए इस कमरे की दीवारों को बर्मा के टीक तख्तों से सजाया गया है और इसके सुंदर काष्ठ फर्नीचर दो राष्ट्र प्रमुखों की बैठक के लिए उपयुक्त परिवेश प्रदान करता है। बहुधा टीक को ही राष्ट्रपति भवन में इस्तेमाल किया गया है, तथापि सुसज्जित करने वाले फर्नीचर के लिए, ‘पादोक, शीशम, एनी, ब्लेकवुड, पून, कोको, वॉलनट और एबोनी’ का भी इस्तेमाल किया गया है। कुर्सियों सहित इस कमरे

आध्यात्मिक उद्यान

प्राय: राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का सबसे अद्भुत सृजन कहा जाने वाला राष्ट्रपति भवन का आध्यात्मिक उद्यान, वास्तव में एक विशिष्ट संकल्पना है। भारत के अनेक पंथों से संबंधित यहां के पौधे और वृक्ष एक साथ उगाए गए हैं। इस उद्यान का उद्देश्य पंथीय और सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद सद्भावनापूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश प्रसारित करना तथा एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता अभिव्यक्त करना है।

अशोक मंडप

अशोक मंडप राष्ट्रपति भवन के अत्यधिक आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक है। रोचक बात यह है कि कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था।

अतिथि स्कंध

राष्ट्रपति भवन का दक्षिण पश्चिम स्कंध कहे जाने वाले अतिथि स्कंध में तीन तल हैं प्रथम तल की विशेष रूप से राष्ट्राध्यक्ष, उनकी पत्नी/पति और शिष्टमंडल के वरिष्ठ सदस्य की मेजबानी के लिए आरक्षित किया गया है। इसके दो प्रमुख सुइट द्वारका और नालंदा जो पूर्व में इरविन और रीडिंग सुइट थे, में राष्ट्राध्यक्ष, महाराजा, महारानी तथा अन्य महत्त्वपूर्ण विशिष्टगणों को ठहराया गया है।

भव्य सीढ़ियां

बैंक्वेट हॉल में पहुंचने के लिए लूट्येन्स की भव्य सीढ़ियों से जाना पड़ता है। बलुआ पत्थर से बनी और आकार में विशाल, 111 फुट लंबाई और 53 फुट चौड़ाई वाली ये सीढ़िया एक छोर पर बैंक्वेट हॉल तक जाती हैं और दूसरे छोर पर अशोक मंडप तक जाती हैं।