भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक
अतिथि स्कंध

अतिथि स्कंध

राष्ट्रपति भवन का दक्षिण पश्चिम स्कंध कहे जाने वाले अतिथि स्कंध में तीन तल हैं प्रथम तल की विशेष रूप से राष्ट्राध्यक्ष, उनकी पत्नी/पति और शिष्टमंडल के वरिष्ठ सदस्य की मेजबानी के लिए आरक्षित किया गया है। इसके दो प्रमुख सुइट द्वारका और नालंदा जो पूर्व में इरविन और रीडिंग सुइट थे, में राष्ट्राध्यक्ष, महाराजा, महारानी तथा अन्य महत्त्वपूर्ण विशिष्टगणों को ठहराया गया है।

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आरंभ में, इस स्कंध को वायसराय और उनके परिजनों द्वारा आवास के तौर पर प्रयोग किया जाता था। तथापि सी. राजगोपालाचारी के प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल के रूप में पद ग्रहण करने पर उन्हें अपनी पसंद और रुचि की तुलना में वायसराय सुइट बहुत अपव्ययी प्रतीत हुआ और उन्होंने भवन के साधारण से, उत्तर पश्चिम भाग में बसने का निश्चय किया। इस परंपरा का पालन उत्तरवर्ती राष्ट्रपतियों ने भी किया तथा उत्तर पश्चिम स्कंध राष्ट्रपति भवन का फैमिली विंग बन गया। तदनंतर, द्वारका और नालंदा सुइट यात्रा पर आए विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों और उनकी पत्नी/पति के लिए आरक्षित हो गए।

अतिथि स्कंध के प्रमुख सुइटों में बर्मा टीक के ऊंचे पैनल, यूरोपीय झाड़फानूस तथा अनूठे कश्मीरी कालीन हैं। लुट्येंस ने भवन की शैली के अनुसार स्वयं फर्नीचर डिजाइन किया। इंग्लैंड में चुने गए प्राचीन शैली के फर्नीचर को भवन के लिए प्रयोग नहीं किया गया क्योंकि नर्म लकड़ी भारतीय जलवायु को सहन नहीं कर पाती, इसलिए गवर्नमेंट हाऊस के फर्नीचर को उपलब्ध टीक से बनाया गया। यूरोप से केवल झाड़फानूस लाए गए।

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द्वारका सुइट राष्ट्रपति भवन के अतिथि स्कंध के सभी कक्षों से बड़ा है। यह 40 फुट, 10 व आधा ईंच तथा 19 फुट, 11 ईंच है। दूसरा सबसे महत्तवपूर्ण कक्ष नालंदा सुइट 24 फुट, 10 ईंच तथा 20 फुट, साढ़े चार ईंच का है। इन दोनों सुइटों का साझा लॉजिया है जहां से मुगल उद्यान का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। द्वारका सुइट में एक बैठक और एक निजी भोज कक्ष है। स्नानगृह में प्राचीन शैली का एक शावर लगा है जिसकी खूबियां सबसे आधुनिक जकुजी के समान हैं। इस स्कंध के रोचक पहलुओं में लुट्येंस द्वारा स्वयं डिजायन किया गया फर्नीचर शामिल है। नीचे गिरकर सीढ़ी बन जाने वाली दराज वाली एक अलमारी अतिथि स्कंध के गलियारे में प्रदर्शित की गई है। इसे समारोहिक पोशाक रखने के लिए प्रयोग में लाया जाता था। राष्ट्रपति भवन की छत पर दिखने वाले कटोरेदार फव्वारों की प्रतिकृति को अल्मारी के ऊपर भी देखा जा सकता है।

अतिथि स्कंध का प्रयोग 1980 दशक में बंद कर दिया गया था। परंतु नवीकरण कार्य के पूरा होने के बाद, अतिथि स्कंध एक बार फिर शुरू हो गया। पुरातन फर्नीचर, अलंकारिक कृतियों, परदों और साज-सज्जा को पुनः नवीकृत किया गया और स्कंध में प्रयोग किया गया। नवीकृत द्वारका और नालंदा सूइट के विशेष अतिथि जापान के सम्राट अकिहितो और साम्राज्ञी मिचिको थीं जो दिसंबर, 2013 में भारत की यात्रा पर आए और जिन्होंने राष्ट्रपति भवन में संक्षिप्त प्रवास किया। शाही दंपति ने अपने विवाह के तुरंत बाद, 1960 में पहली बार भारत की यात्रा की थी और भारतीय राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा उनकी मेजबानी की गई थी, यद्यपि वे हर बार अपने प्रवास के समय भवन में नहीं ठहरे थे परंतु दंपति ने भवन में सरकारी मुलाकातों के बीच में आराम के लिए द्वारका और नालंदा सुइटों को प्रयोग किया।

अतिथि स्कंध का नवीकरण जनवरी, 2014 में पूरा हुआ और लगभग दो दशक के बाद इसे अतिथियों के लिए खोल दिया गया। भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक और महारानी जेटसन पेमा प्रथम राजकीय अतिथि थे जो नवीकरण के बाद राष्ट्रपति भवन के अतिथ स्कंध में रुके। तब से यहां विश्व के अनेक नेताओं का आतिथ्य सत्कार किया गया है।