भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक
अस्तबल

अस्तबल

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर भारतीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और एकता का एक प्रतीक है। यह संग्रहालय, जिसका 25 जुलाई, 2014 को औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था, भारत के राष्ट्रपतियों द्वारा विगत वर्षों में प्राप्त असंख्य उपहारों के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी की पहल का समूह है। इन भेंट की गई कलाकृतियों के अतिरिक्त संग्रहालय के संग्रहण में सशस्त्र, फर्नीचर, वास्तुकलाएं, कपड़े, फोटोग्राफ और पुरातत्त्व से संबंधित सामग्री और अन्य वस्तुएं भी हैं।

इस संग्रहालय का उद्घाटन करते समय माननीय राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी के शब्द थे, ‘‘मैं एतदद्वारा राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को राष्ट्र को समर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि यह संग्रहालय राष्ट्रपति भवन, इसकी कला, आर्किटैक्चर और जीवंत समुदाय के आंतरिक रूप से जानने में हमारे देश के लोगों को विभिन्न राष्ट्रपतियों के जीवन के बारे में भी शिक्षित करेगा

इससे पूर्व भारतीय राष्ट्रपतियों द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति से अब तक प्राप्त उपहार तोशाखाना, जोकि राष्ट्रपति भवन के परिसर में भण्डारण की जगह, में रखे गए थे और उपहार गैलरियों में प्रदर्शित किए जाते थे। तथापि, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन अनमोल स्मृतियों के लिए अतिरिक्त स्थान देने की आवश्यकता को महसूस किया। इस प्रयोजन के लिए विरासत अवसंरचना, अस्तबल और कोच हाऊस को संरक्षित किया गया और एक शानदार स्टेट ऑफ द आर्ट संग्रहालय में रूपांतरित किया गया। अस्तबल के द्वार और खिड़कियों पर घोड़े के पैर के पैटर्न अब भी मौजूद हैं। यह देखना भी सचमुच आश्चर्यजनक है कि कैसे प्रत्येक स्टाल को एक एन्क्लेव में रूपांतरित किया गया और उपहारों और कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया। संग्रहालय के चरण-1 में प्रदर्शन के लिए ऐसे 22 एन्क्लेव हैं।

अस्तबल को तीन बरामदों में विभाजित किया गया है, बायां बरामदा, लम्बवत हॉल और दायां बरामदा जबकि उपहारों और पेंटिंग्स को बाएं और दाएं बरामदों में प्रदर्शित किया गया है, लम्बवत बरामदे को फिर से तीन भागों में विभक्त किया गया है, युद्ध के दृश्यों वाली गैलरी, फर्नीचर गैलरी और राष्ट्रपति सुरक्षा गार्ड गैलरी। इन बरामदों के अतिरिक्त एक कोच हाऊस भी है जो राष्ट्रपति भवन संग्रहालय का भाग है।