भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक

गणतंत्र मंडप

राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप की अत्यंत सादगी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है

चूंकि यह निर्विवाद रूप से प्रेजीडेंशियल पैलेस का सर्वाधिक भव्य कक्ष है। रॉबर्ट बायरन, सुप्रसिद्ध इतिहासकार और कला आलोचक ने ठीक ही कहा है, ‘अपने लिए निर्धारित किए गए डिजायन के उच्च स्तर में लुटियन्स ने कहीं भी चूक नहीं की।’

अशोक मंडप

अशोक मंडप राष्ट्रपति भवन के अत्यधिक आकर्षक और सुसज्जित कक्षों में से एक है।

रोचक बात यह है कि कलात्मक रूप से निर्मित विशाल यह स्थान अब महत्त्वपूर्ण समारोहिक आयोजनों, विदेशों के मिशनों के प्रमुखों के पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे पहले स्टेट बॉल रूम के लिए उपयोग में लाया जाता था।

लाइब्रेरी

गणतंत्र मंडप की दुहिता के रूप में पहचानी जाने वाली राष्ट्रपति भवन की लाइब्रेरी भवन के उत्तर पूर्वी कोने में स्थित है और यहां नार्थ स्टेयरकेस द्वारा पहुंचा जा सकता है।

परिपत्र गार्डन

सबसे दूर वृत्ताकार उद्यान को इसके आकार के कारण संकेन उद्यान या पर्ल उद्यान के रूप में भी जाना जाता है। मूल रूप से बटरफ्लाई उद्यान कहलाने वाले इस उद्यान के बारे में, लुट्येन्स ने कहा था, ‘‘मैं तितली जैसे सभी पौधों से एक तितली उद्यान बना रहा हूं।’’ इसकी रंगशाला जैसी संरचना में पुष्प क्यारियों के घेरे बने हुए हैं जिनमें अलग-अलग रंगों की स्टॉक, फ्लोक्स, पैंजी, मैरीगोल्ड, वॉयला, आलाइसम आदि जैसी सुगंधित किस्में लगी हुई हैं।

लंबा उद्यान

यह मुख्य रूप से एक गुलाब का उद्यान है जिसमें 16 गुलाब की क्यारियां हैं। यह उद्यान लंबाई में 430 फुट है और दीवारों द्वारा घिरा हुआ है जो लगभग 12 फुट ऊंची हैं और इसे अक्सर पर्दा उद्यान के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त आइसबर्ग, रोज समरस्नो, रोज ओक्लाहोमा, रोज लुसियाना और गुलाब की बहुत सी लोकप्रिय और विरासती किस्मों के अतिरिक्त, क्यारियों को डहेलिया, मैरीगेल्ड, सेल्विया, गजानिया, ऑक्सेलिस, रिननक्यूलस तथा इरिस द्वारा बांटा गया है। बीच के मार्ग में एक लाल बलुआ पत्थर का मंडप है जो रोज क्रीपर्स, पैट्रिक बोगनवेलिया

भगवान बुद्ध की प्रतिमा

सहस्रबाहु अवलोकितेश्वर के रूप में जानी जाने वाली भगवान बुद्ध की 1,000 बाजू वाली प्रतिमा वियतनाम की सरकार ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उपहार स्वरूप भेंट की थी। संस्कृत शब्द सहस्रबाहु का अर्थ है ‘हजार भुजाओं वाला’ और अवलोकितेश्वर का अर्थ है ‘वह ईश्वर जो विश्व को करुणा की दृष्टि से देखता है।’ बुद्ध का यह अवतार करुणा का अवतार है, यह विश्वास किया जाता है कि भगवान बुद्ध के पास दुखियों तक पहुंचने और उनकी मदद करने के लिए हजार हाथ है।

अस्तबल

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर भारतीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और एकता का एक प्रतीक है। यह संग्रहालय, जिसका 25 जुलाई, 2014 को औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया था, भारत के राष्ट्रपतियों द्वारा विगत वर्षों में प्राप्त असंख्य उपहारों के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए राष्ट्रपति, प्रणब मुखर्जी की पहल का समूह है। इन भेंट की गई कलाकृतियों के अतिरिक्त संग्रहालय के संग्रहण में सशस्त्र, फर्नीचर, वास्तुकलाएं, कपड़े, फोटोग्राफ और पुरातत्त्व से संबंधित सामग्री और अन्य वस्तुएं भी हैं।

गैराज

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर, गैराज की नींव 7 अक्तूबर, 2014 को रखी। इसका नाम इस वास्तविकता से पड़ा कि विरासत भवन पहले राष्ट्रपति सम्पदा का गैराज गृह था। संग्रहालय सलाहकार, कार्मिकों और स्टाफ सदस्यों के 21 महीने के कड़े प्रयास के बाद यह गहन गौरव का विषय है कि आरबीएमसी के गैराज का 25 जुलाई, 2016 को औपचारिक रूप से उद्घाटन किया जा रहा है।

केंद्रीय लॉन

राष्ट्रपति भवन का एक महत्वपूर्ण उद्यान सेंट्रल लॉन है। आकार में वर्गाकार और 45 मीटर भुजाकार सेंट्रल लॉन गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित एट होम समारोह का प्रमुख स्थल होता है।

घंटा घर

सर एडविन लुट्येंस द्वारा 1925 में निर्मित किया गया घण्टाघर एक विरासत भवन है। मूल रूप से बैंड हाऊस के रूप में जाना जाने वाला यह भवन बैंड के लिए निर्मित किया गया था और अब यह राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर का स्वागत कक्ष है। इससे पहले इसे राष्ट्रपति भवन के डाकघर और आवासीय मकानों के रूप में उपयोग में लाया जाता था।.