भारतीय लोकतंत्र और एकता का प्रतीक

अपर लॉजिया

अपर लॉजिया जिसे पहले गॉर्डन लॉजिया के नाम से जाना जाता था, बैंक्वेट हॉल और अशोक मंडप के मध्य स्थित है। इसके एक ओर ग्रैंड स्टेयरकेस (शानदार सीढ़ियां) और दूसरी ओर मुगल गॉर्डन दिखायी देता है। गणतंत्र मंडप में आयोजित समारोहों के बाद चाय और नाश्ते के लिए इस स्थान का बहुधा प्रयोग किया जाता है।

बैंक्वेट हॉल

बैंक्वेट हॉल जिसे स्टेट डाइनिंग रूम के नाम से भी जाना जाता है, का एक शानदार विवरण है। इस कमरे से जो कि 104 फुट लंबा, 34 फुट चौड़ा और 35 फुट ऊंचा है, एक ओर मुगल गॉर्डन दिखाई देता है। बैंक्वेट हॉल की दीवारों को बर्मा के टीक तख्तों से सजाया गया है जबकि इसके फर्श ग्रे कोटा पत्थर और सफेद मकराना संगमरमर पैटर्न में बने हुए हैं। लंबी धारीदार कारीगरी वाले स्तंभों के ऊपर लकड़ी में खुदाई, लुट्यन्स के मौन घंटों के रूपांकन ठीक वैसे ही देखे जा सकते हैं जैसे कि फोरकोर्ट में टस्कन पिलर्स के ऊपर रखे गए हैं।

स्वागत

राष्ट्रपति भवन इमारत के स्वागत कक्ष में प्रवेश फोरकोर्ट से है। राष्ट्रपति भवन में प्रवेश करने पर स्वागत कक्ष से पहले वाले कमरे में वीरभद्र की बनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक आदमकद ऑयलीकृत कैनवास पैंटिंग द्वारा स्वागत होता है।

गार्ड समारोह में बदलाव

1773 में स्थापित राष्ट्रपति अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठतम रेजीमेंट है। यह घुड़सवार यूनिट राष्ट्रपति के समारोहिक कार्य करती है। इसके अधिकारी और जवान श्रेष्ठ घुड़सवार, सक्षम टैंककर्मी और छाताधारी सैनिक हैं।

‘चेंज ऑफ गार्ड’ एक बहुत पुरानी सैन्य परंपरा है जिसकी मौलिकता प्राचीन काल में विलीन हो गई। प्राचीन काल से ही, महलों, किलों और रक्षा प्रतिष्ठानों में गार्ड और संतरी नए सैन्य दस्तों की तैनाती के लिए समय-समय पर बदलते रहते हैं। राष्ट्रपति भवन में, समरोहिक सेना गारद बटालियन भारत के राष्ट्रपति के लिए समारोहिक गार्ड और संतरी उपलब्ध करवाने के लिए जिम्मेदार है।

सिल्वर ट्रम्पैट बैनर प्रेजेंटेशन समारोह

आज राष्ट्रपति बॉडी गार्ड (पीबीजी) के रूप में परिचित यूनिट, 1973 में बिनेयर्स में तात्कालिक गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंगस द्वारा 50 हैण्ड पिक्ड टुकड़ियों की संख्या सहित गठित किया गया था। चुनिंदा टुकड़ियों ने अद्वितीय यूनिट समर्पित सेवा के 200 वर्षों में घुड़सवार और पैदल सेना के रूप में और अभी हाल में ही यंत्रीकृत और हवा जनित टुकड़ियों के रूप में भिन्न-भिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। राष्ट्रपति बॉडी गार्ड ने भिन्न-भिन्न सेवाओं के 242 वर्ष पूरे किए हैं। यह भारतीय सेना का सबसे वरिष्ठ यूनिट है जिसकी विशेषता सभी सरकारी और समार

राष्ट्रपति पोलो कप

‘राष्ट्रपति पोलो कप’ 1975 में स्व. राष्ट्रपति श्री फखरुद्दीन अली अहमद, जो भारतीय पोलो एसोसिएशन (आई.पी.ए.) के प्रमुख संरक्षक थे, के संरक्षण में आरंभ किया गया था। उस समय आई.पी.ए. पीबीजी में आयोजित किया जाता था और तद्नुसार, पीबीजी राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से राष्ट्रपति पोलो कप आयोजित करने के लिए जिम्मेदार था।

रामपूर्व बुल

अशोक के स्तंभ (अशोका पिलर्स) मौर्य कला के सर्वाधिक मशहूर उदाहरण हैं। राष्ट्रपति भवन, तीसरी शताब्दी पूर्व सैंड स्टोन ऑफ आशोक पिलर्स जिसे रामपुरवा बुल के नाम से जाना जाता है, को रखने में गौरवान्वित महसूस करता है। इसका नाम इसकी खोज के स्थान, बिहार में रामपूर्व के स्थान पर रखा गया है। रामपूर्व बुल राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट प्रवेश पर केंद्रीय स्तंभ के बीच में एक तख्त पर रखा गया है।

टस्कन पिलर्स

फोरकोर्ट के टस्कन पिलर्स राष्ट्रपति भवन के आर्किटेक्चर की उत्कृष्टता, शान और समरूपता का स्मरण कराते हैं। ये 12 पिलर्स राष्ट्रपति भवन के फ्रंट बरामदे में टिके हैं। वे पुनर्जागरण काल के आर्किटेक्चर की टस्कन व्यवस्था से प्रभावित हैं।

आयरन गेट

राष्ट्रपति भवन के आलीशान गेट अपने आप में कलात्मक हैं। छ: मीटर की चौड़ाई वाले ये छब्बीस फुट के गढ़े हुए लोहे के गेट लंबी ग्रिल जो प्रेजीडेंसियल पैसेल की सीमा निर्धारित करती हैं तथा दक्षिणी और राष्ट्रपति भवन के उत्तरी अंत तक जाती हैं और इसकी ऊंचाई चौदह फीट है। इसकी ग्रील 2 फीट के पत्थर वाले आधार पर टिकी है और एक लपेटदार काले लेस जैसी है जो नुकीले सीधे फूलों से सजी हुई है। स्टार ऑफ इंडिया रूपांकन राष्ट्रपति भवन गेटों को सजाते हुए देखे जा सकते हैं जबकि ऊपर मुख्य द्वार के बीच में स्वर्णिम राष्ट्रीय चिह्न लगा हुआ है।

जयपुर कॉलम

जयपुर कॉलम राष्ट्रपति भवन, फोरकोर्ट के ऊपर 145 फुट की ऊंचाई पर है जो कि मुख्य द्वार से लगभग 555 फुट की दूरी पर है। सर एडविन लुट्येन्स द्वारा डिजायन किया गया और जयपुर के महाराजा माधो सिंह द्वारा प्रायोजित, जयपुर कॉलम राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने संबंधी समारोह के लिए निर्मित किया गया था और यह ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति जयपुर की निष्ठा का प्रतीक था।